Monday, March 30, 2009

आम आदमी

हर सुबह
हर कतार आदमी

गली चोराहो पर फिरता
गड्डो में गिरता आम आदमी
आँखों में सपने
कंधो पर जिम्मेदारी
पर बारी -बारी किसी न किसी
हादसे का शिकार आदमी आम आदमी

हाथो की हथेलियो में
चन्द रंगीन कागज के टुकड़े लिए
घर पंहुचा
घर पंहुचा
फिर निकलेगा घर से
ये आदमी
आम आदमी

हर कंधे पर बैठी
एक सवारी
सवार हुआ नेता
खच्चद बना आम आदमी
है भिखारी पर बनता है
दानवीर
हर पाच वर्ष में लुटता है
खुशी से बार -बार आदमी
आम आदमी


बिकता है इसके सामने सब कुछ
विक्रेता बना खाखी
खादी खरीदार
बना ये गाँधी का
बन्दर आम आदमी


इतना भी लाचार नही है
ये आदमी

डूबा रहता है
अक्सर किसी की झील सी आँखों में
बाड़ में डूबा तो एतराज
ये आम आदमी

2 comments:

  1. hataasa se bhare aam adami ki jindagi ki ek sachchi dastan khinch di hai aapne wah bhi itni sadgi se. badi nikhalis si line hain aur aasa se bhari bhi. likhte rahiye.

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  2. Har kise ke aankho kki kirkiri hai aam admi har kisi ko madad pahunchata phirbhi khud tarasjata aamadmi......
    achha likha hai bhai........

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