ये होली के एक दिन पहले 09मार्च 09 की बात है जब में यूनिवर्सिटी कैम्पस के ग्राउंड में अकेले बैठा था
और कैम्पस में दूसरा कोई नही था दूसरा कोई था भी तो वो गार्ड था / में बैठा - बैठा यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग को देख रहा था और आज मुझे यह बिल्डिंग बहुत खुबसूरत लग रही थी उसी समय मेरे मन में कुछ पंक्तिया आई वो इस प्रकार है ...........
आज मैं ,
तेरे साये बैठा,
अपनी परछाई को ढुडता हूँ ,
तेरे संग जुड़े थे जितने रिश्ते ,
अब में उन्हें एक -एक कर तोड़ता हूँ ,
अब में किसी नए शहर की ओर ,
अपना रुख मोड़ता हूँ
आज मैं ,
तेरे साये में बैठा ,
अपने आशुओ को मोतियो सा जोड़ता हूँ ,
मेघ को देकर कुछ बुँदे उधार ,
किसी प्यासे खेत को सिचता हूँ ,
ओर एक बूंद शीप में गिराकर ,
मोत्ती बनाने का कार्य शौपता हूँ
आज में ,
तेरे साये में बैठा ,
तेरे रूप को निहारता हूँ ,
तू जैसे है एक सुंदर दुल्हन ,
तुझे विरह में छोड़ मैं ,
अब रण में लड़ने जाता हूँ
आज मैं ,
तेरे साये में बैठा ,
कुछ पन्नो को पलटाता हूँ ,
सबमे ही विराम लगे है ,
नए अध्याय के आरम्भ लगे है ,
चलो -चलो अब शब्द भी कहते है ,
नए उपन्यास के आरम्भ लगे है
आज मैं ,
तेरे साये में बैठा ,
अपनी बाहे फैलता हु ,
ऊपर नील गगन है उसमे ,
मन को लहराता हूँ उडाता हूँ ,
बस एक प्यारा सा आशियाँ , अब दुंडता हूँ
आज मैं ,
तेरे साये में बैठा ,
अपनी परछाई दुंडता हूँ !!!!!
{इस में बहुत साडी त्रुटी है उसके लिए कृपया माफ़ करिए }
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ब्लागजगत में आपका स्वागत है......शुभकामनाऎं.
ReplyDeleteहिन्दी - ब्लोग के सभी साथियों , मित्रों , मे आपका स्वागत है
ReplyDeleteअच्छी रचना के लिये बधाई
रंगो के इस त्यौहार पर सह्रिदय
असीम शुभकामनाएं ...
एक मुक्तक परिचय का ..
हमारी कोशिशें हैं इस , अन्धेरे को मिटाने की
हमारी कोशिशें हैं इस , धरा को जगमगाने की
हमारी आंख ने काफ़ी बडा सा ख्वाब देखा है
हमारी कोशिशें हैं इक , नया सूरज उगाने की
और
तीन मुक्तक होली पर
लगें छलकने इतनी खुशियां , बरसें सबकी झोली मे
बीते वक्त सभी का जमकर , हंसने और ठिठोली मे
लगा रहे जो इस होली से , आने वाली होली तक
ऐसा कोई रंग लगाया , जाये अबके होली मे
नजरें उठाओ अपनी सब आस पास यारों
इस बार रह न जाये कोई उदास यारों
सच मायने मे होली ,तब जा के हो सकेगी
जब एक सा दिखेगा , हर आम-खास यारों
और
मौज मस्ती , ढेर सा हुडदंग होना चाहिये
नाच गाना , ढोल ताशे , चंग होन चाहिये
कोई ऊंचा ,कोई नीचा , और छोटा कुछ नही
हर किसी का एक जैसा रंग होना चाहिये
शुभकामनाओ सहित
डा. उदय मणि
http://mainsamayhun.blogspot.com
ब्लोगिंग जगत में स्वागत है ।
ReplyDeleteलगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
सुंदर रचना के लिए बधाई !
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
कहानी,लघुकथा एंव लेखों के लिए मेरे दूसरे ब्लोग् पर स्वागत है
wah bahut khub, post bhee tippani bhee. narayan narayan
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका स्वागत है ,आपके लेखन के लिए मेरी शुभकामनाएं ................
ReplyDeleteआपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .....
ReplyDeleteभावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई। बेहतर लिखने की शुभकामना के साथ-
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