Tuesday, June 30, 2009

क्षण -क्षण

(एक रात के पहले )

करुण हृदय अब क्रंदन करता
वर्षा में स्पंदन करता
मेघ भी अब प्रचंड गर्जन करता
अनेक पथ के दर्शन करता
घटता बढता चंद्रमा
चकोर न अब दर्शा न करता
क्षण -क्षण क्षय करता
कण -कण टंकण करता
स्मृति की दुशाला ओड़
स्वपन में भ्रमण करता ।


करुण हृदय अब क्रंदन करता
वर्षा में वंदन करता

कुशाग्र छल से छालित करता
मन से मन मलित करता
तृस्ना को दलित करता
न ईश को अब नमन करता
जिज्ञाषा को पिपाशा से भगित करता
निम्न सा वजन तुला करता
मूल्य अधिकाधिक में अदा करता ।

(एक रात के बाद )
भास्कर अब मेरा पैमाना करता
किरणों की डोर फेक स्वयं को अपमानित करता
आठो पहर अब में रोशन करता
वो अपनी दुपहरिया लेकर सिर्फ़
मेरी परछाई को सीमित करता
करुण हृदय अब न क्रंदन करता
वर्षा को अब में चंदन करता
मेघ की गर्जना संग अब नृत्य करता
एक पथ प्रिशिद्धि का उसको में सफल करता
क्षण -क्षण अब तय करता
कण -कण अब प्रकट करता
स्मृति दुशाला संग लिए नए युग का सृजन करता
मन से मन निर्मल करता
तृस्ना को छोड़ ईश को नमन करता
जिज्ञासा को घन कर
मन केंद्रित करता
में अब लक्ष्य को सहस्त्र बार भेदित करता।



शहीदों को समर्पित

न जन्नत अता करना मौला
न दौलत अता करना मौला
न शोहरत अता करना मौला
बस इतना अता करना मौला
मुह में गंगा हो हाथो में तिरंगा हो मौला ............
(मेरे मित्र द्वारा रचित चंद लाइने )

Sunday, June 21, 2009

नमी

1-०६-०९ की बात है जब मेरा घनिष्ट मित्र कुछ पैमाने गटकने के बाद अपने प्यार की कुछ बाते बता रह था
और में मै उसकी बाते ध्यान से सुन रहा था वैसे ये किस्सा मै कई बार सुन चुका था फ़िर भी मै ने उसे सुन
रहा था जब उसका दर्द नही देखा गया तो मै ने कहा
"कुछ बाते दिल में ही रहने दो
नही तो ये बेचारा
और - अकेला - और- अकेला
हो जाएगा "

इसके बाद उसने कहा टीक है अब मै उस लड़की का नाम कभी नही लूँगा
मगर दो दिन के बाद फ़िर वही हुआ फ़िर वहीईईईई ,,,,,,,,,,,,,,
मेरे दोस्त सुजीत को समर्पित


आज बूंदों को नम देखा
बरसे बदरा खुशी से
इनकी खुशी में भी गम देखा
इनका सफर बहुत लंबा था
थकान को देखा
तो नम देखा

बूंदों को जमीन पर गिरते देखा
हर हिस्से को बिखरते देखा
जमीन ने सोखा
हर कतरा बड़े प्यार से
यार उसकी सौंधी खुसबू को भी मैंने देखा

यादो को भुलाते देखा
धुएं को उडाते देखा
बड़ते पैमाने घटता होश
वो फ़िर था खामोश
उसकी बंद जुबान से
उसके प्यार का नाम
हर बार दुहराते देखा

सुबह की धुप से
शाम की छुअन तक
नम आँखों को धुप में सुखाते देखा
तारो को गिनते
चाँद से बातें करते
ख्वाब में भी बडबडाते देखा
ये मेरे दोस्त का प्यार है
जब भी दीखता है
नम ही दीखता है