Sunday, June 21, 2009

नमी

1-०६-०९ की बात है जब मेरा घनिष्ट मित्र कुछ पैमाने गटकने के बाद अपने प्यार की कुछ बाते बता रह था
और में मै उसकी बाते ध्यान से सुन रहा था वैसे ये किस्सा मै कई बार सुन चुका था फ़िर भी मै ने उसे सुन
रहा था जब उसका दर्द नही देखा गया तो मै ने कहा
"कुछ बाते दिल में ही रहने दो
नही तो ये बेचारा
और - अकेला - और- अकेला
हो जाएगा "

इसके बाद उसने कहा टीक है अब मै उस लड़की का नाम कभी नही लूँगा
मगर दो दिन के बाद फ़िर वही हुआ फ़िर वहीईईईई ,,,,,,,,,,,,,,
मेरे दोस्त सुजीत को समर्पित


आज बूंदों को नम देखा
बरसे बदरा खुशी से
इनकी खुशी में भी गम देखा
इनका सफर बहुत लंबा था
थकान को देखा
तो नम देखा

बूंदों को जमीन पर गिरते देखा
हर हिस्से को बिखरते देखा
जमीन ने सोखा
हर कतरा बड़े प्यार से
यार उसकी सौंधी खुसबू को भी मैंने देखा

यादो को भुलाते देखा
धुएं को उडाते देखा
बड़ते पैमाने घटता होश
वो फ़िर था खामोश
उसकी बंद जुबान से
उसके प्यार का नाम
हर बार दुहराते देखा

सुबह की धुप से
शाम की छुअन तक
नम आँखों को धुप में सुखाते देखा
तारो को गिनते
चाँद से बातें करते
ख्वाब में भी बडबडाते देखा
ये मेरे दोस्त का प्यार है
जब भी दीखता है
नम ही दीखता है

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