Monday, October 3, 2011

मुठ्ठी भर

मुठ्ठी भर बस लकीरें ही..लकीरें है...
कोई धुंधली सी ,
कोई गहरी सी,
कोई चिठ्ठी की तरह दरवाजे दरवाजे पता dundati है
कोई मोबाइल की तरह एक पल में saari बात कहती है

कोई national highway सी
कोई गाव की पगडण्डी सी
कोई भूल भुलैया सी
कोई समंदर में नैया सी
कोई डोर सी पतंग उड़ाती है
कोई कट सी जाती है
कोई घबराई सी है पहले इजहार सी
कोई लम्बी तकरार सी...........
कोई दुलार सी
कोई बस प्यार सी………………..
मुठ्ठी भर लकीरें ही लकीरें है

मुठ्ठी भर ......... ।

Friday, July 15, 2011

नेतावाद

मेरे पास तुम्हारे लिए दो मिनट है
इसमें सांति है
तुम्हारे लिए
मेरे पास दो मिनट है

जब कभी होगा कोई "हादसा "
या फटेगा कोई "बम"
तुम हो जाओगे टुकड़े टुकड़े
तब मै कह दूंगा
हाई अलर्ट
बस दो मिनट है
मेरे पास तुम्हारे लिए

थोडा अखबारों का शोर रहेगा
तो क्या हुआ
चिल्लाने दो
मै कह दूंगा "दो लाख का मुआवजा है "
तुम्हारे लिए
चलो हाथ बांध कर खड़े हो जाते है
"मौन " रख लेते है दो मिनट का
तुम्हारे लिए
मेरे पास दो मिनट है
तुम्हारे लिए



"मै आपका प्यरा नेता और आपका प्यारी सरकार
हम आतंकवाद से नहीं डरेंगे "
"जय हिंद"



Friday, June 24, 2011

बाजार

जरा सा बाजार है
बाकि सब बाजारू
ग्लोबलाएजासन के दौर में
बिक रही दारू

टी वी बहुत है
सीरियल बहुत है
बहुत है न्यूज
पर ब्रेकींग न्यूज के चक्कर में
सब खबर बाजारू

कौन-कौन है नेता
वोट कौन है देता
पैसा कोई उछालकर
बड़े बड़े विज्ञापन है देता
ख़ुशी के मारे फिर गरीब
बाज़ार में होता
जरा सा बाजार होता
बाकि सब बाजारू बेचारा फिर हुआ बेआबरू............................. ।

सिफारिशे

थोडा सा रूठा करो
थोडा मान जाया करो
मान मऔअल का दौर चले
फिर थोडा सा मुस्कुराया करो

थोडा है खुलापन
थोडा करो पर्दा
मनो मेरी बात
थोडा सा काजल भी लगाया करो
जब छुए कोई हवा तुम्हे तो
तो कोई बात नहीं
जब आये हमारी याद
तब थोडा तो सरमाया करो

जब कधी आये तारो भरी रात
उंगलियों से तारो को मिलकर
मेरा नाम बनाया करो

मेरे कदमो की आहट
ना महसूस करो
न सही
मगर तुम दबे पावा न आया करो................................... ।




Wednesday, June 22, 2011

धागा

कितने रिस्तो में
कितने रिश्ते
एक रिश्ता प्यार का
कितनी गांठे जीवन में
बिन गांठो का धागा प्यार क़ा