थोडा सा रूठा करो
थोडा मान जाया करो
मान मऔअल का दौर चले
फिर थोडा सा मुस्कुराया करो
थोडा है खुलापन
थोडा करो पर्दा
मनो मेरी बात
थोडा सा काजल भी लगाया करो
जब छुए कोई हवा तुम्हे तो
तो कोई बात नहीं
जब आये हमारी याद
तब थोडा तो सरमाया करो
जब कधी आये तारो भरी रात
उंगलियों से तारो को मिलकर
मेरा नाम बनाया करो
मेरे कदमो की आहट
ना महसूस करो
न सही
मगर तुम दबे पावा न आया करो................................... ।
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