हर राह अब एक ही और जाती है
हर राहअब एक ही ओर जाती है
भूख प्यास पर सिमटी आती है
चौंधियाती है मेरी आँखे एक बड़ी सी गाड़ी को देखकर
पुनःदेख मेरे टूटे छोटे घर को ठंडी हो जाती है
कुछ बच्चो की तरह मेरे ख्वाब में भी
कुछ परिया आती है
हालत को मेरे देखकर वो भी मुह चिडा कर चली जाती है
शायद मेरी गन्दी बस्ती बॉस उसे भी आती है
मेरे दरवाजे पर बहुत से लोग आते है
कुछ विदेशी कुछ देसी फोटो खीचते -खिचवाते है
थोड़ा इनाम थोड़ा पैसा थोड़ा शोहरत पाते है
पर में उसी गंदे रस्ते पर
उसी तरह बैठा रह जाता हु
की कोई आज फिर आयेगा और
फोटो खिचवाने के बहाने कुछ पैसा या खाना दे जाएगा ...............