Sunday, May 31, 2009

भूख का रास्ता












हर राह अब एक ही और जाती है





हर राहअब एक ही ओर जाती है



भूख प्यास पर सिमटी आती है

चौंधियाती है मेरी आँखे एक बड़ी सी गाड़ी को देखकर

पुनःदेख मेरे टूटे छोटे घर को ठंडी हो जाती है

कुछ बच्चो की तरह मेरे ख्वाब में भी

कुछ परिया आती है

हालत को मेरे देखकर वो भी मुह चिडा कर चली जाती है

शायद मेरी गन्दी बस्ती बॉस उसे भी आती है

मेरे दरवाजे पर बहुत से लोग आते है

कुछ विदेशी कुछ देसी फोटो खीचते -खिचवाते है

थोड़ा इनाम थोड़ा पैसा थोड़ा शोहरत पाते है

पर में उसी गंदे रस्ते पर

उसी तरह बैठा रह जाता हु

की कोई आज फिर आयेगा और

फोटो खिचवाने के बहाने कुछ पैसा या खाना दे जाएगा ...............



उलझने

चहरे की शिकन उन्हें मह्सुश नही होती
बातें होती है
मुलाकाते होती है
पर तौफिक नही होती


एक लट हमेसा ही होती है
रूबरू होने पर
परदा न हो ये बात नही होती
अनजानी कशिश अक्सर होती है
एक छोर तो होता है
पर दूसरी नही होती


आंखे बोलती है उसकी
मेरी जुबान में भी आवाज नही होती
घटाओ की छुअन भी उन्हें मह्सुश होती है
यहाँ बरसात होती है
पर उन्हें परवाह नही होती


हमें तो कोई याद नही करता
पर तुम्हारी हिचकिया हमसे ही
गुलज़ार होती है
कुछ चीजे तो तुमने ही चुराई है
मगर ये कहने की बात नही होती

तुम्हारे चौखट पे ही बिखर जाती है
ओस की बुँदे सारी
मेरे दर ...
हरियाली भी सुख गई है
पर सीचने की बात भी नही होती

तारे अब भी उलझे रहते है
चाँद को लेकर
हमसे भी पुछे ..
ये बातें साफ नही होती
प्यार एकतरफा ही हो
तो अधिकार की बात नही होती
चलो कुछ बाते खुदा पर छोडे
हमसे और बातें यार नही होती . ......






Wednesday, May 20, 2009

व्यथा -मेरे देश की

खेती शौख से लगाई
बादलो ने भी ली
भरपूर अंगडाई
धान की कोपलों ने भी
अपनी चुनर लहराई
तभी धरती घबराई
माथे पर शिलवते नजर आई
सुखा पड़ा
बाद आ गई

नेताओ ने
ऋन -ऋण लिया
धन धन हुआ और
धन बाद गया
मैंने ऋण लिया
जमीन का एक टुकडा
और घाट गया
सुखा पड़ा
बाद आ गई


अंधी आई
पेड़ उखड़े
बटवारे में खेत के टुकड़े
सुखा पड़ा
बाद आ गई


सूरज ढला
रात आ गई
लुटेरो ने लुटा
धन-आबरू
गरीब जगह -जगह
हुआ बेआबरू
सुखा पड़ा
बाद आ गई

रुखा -सुखा न बचा
भूषा भूषा न बचा
हुआ घोटाला
चार गया चारा
पड़ गया सुखा
बाद आ गई


रोटी मांगी
मन्दिर मिला
तलवार चली
बोली मस्जिद गिरा
बच्चा भूखा -प्यासा ही मारा
न कब्र मिली न शमसान
चोराहे पर शिनाख्त को पड़ा
सुखा पड़ गया
बाद आ गई


गोली चली शहीद हुआ
कही मिली परम वीरता
कही तरक्की
मरने वाला किस ओर का था
कौन जाने
मर गई मानवता ये सब जाने
सुखा पड़ा
बाद आ गई

उसने दिया अस्वाशन
जान आ गई
लगा बरसात आ गई
बादल गरजे बरसे मुसलाधार
चुनाव ख़त्म हुआ
सुख पड़ा
बाद आ गई

बम फूटा
लहू बहा
कभी उस पार
कभी इस पार
दोनों ने कहा
बार -बार
पड़ोसी है
पड़ोसी है
आइना देखा तो पता चला
उस पार
उसका साया था
इस पार
हमारा प्रतिबिम्ब
सुखा पड़ गया
बाद आ गई


तस्वीर छपी
हैसियत बड़ी
देखा उसे
घड़ी -घड़ी
उसे मिला महंगा विज्ञापन
मुझे महँगी दवाई
सुखा पड़ गया