Sunday, May 31, 2009

भूख का रास्ता












हर राह अब एक ही और जाती है





हर राहअब एक ही ओर जाती है



भूख प्यास पर सिमटी आती है

चौंधियाती है मेरी आँखे एक बड़ी सी गाड़ी को देखकर

पुनःदेख मेरे टूटे छोटे घर को ठंडी हो जाती है

कुछ बच्चो की तरह मेरे ख्वाब में भी

कुछ परिया आती है

हालत को मेरे देखकर वो भी मुह चिडा कर चली जाती है

शायद मेरी गन्दी बस्ती बॉस उसे भी आती है

मेरे दरवाजे पर बहुत से लोग आते है

कुछ विदेशी कुछ देसी फोटो खीचते -खिचवाते है

थोड़ा इनाम थोड़ा पैसा थोड़ा शोहरत पाते है

पर में उसी गंदे रस्ते पर

उसी तरह बैठा रह जाता हु

की कोई आज फिर आयेगा और

फोटो खिचवाने के बहाने कुछ पैसा या खाना दे जाएगा ...............



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