जरा सा बाजार है
बाकि सब बाजारू
ग्लोबलाएजासन के दौर में
बिक रही दारू
टी वी बहुत है
सीरियल बहुत है
बहुत है न्यूज
पर ब्रेकींग न्यूज के चक्कर में
सब खबर बाजारू
कौन-कौन है नेता
वोट कौन है देता
पैसा कोई उछालकर
बड़े बड़े विज्ञापन है देता
ख़ुशी के मारे फिर गरीब
बाज़ार में होता
जरा सा बाजार होता
बाकि सब बाजारू बेचारा फिर हुआ बेआबरू............................. ।
Friday, June 24, 2011
सिफारिशे
थोडा सा रूठा करो
थोडा मान जाया करो
मान मऔअल का दौर चले
फिर थोडा सा मुस्कुराया करो
थोडा है खुलापन
थोडा करो पर्दा
मनो मेरी बात
थोडा सा काजल भी लगाया करो
जब छुए कोई हवा तुम्हे तो
तो कोई बात नहीं
जब आये हमारी याद
तब थोडा तो सरमाया करो
जब कधी आये तारो भरी रात
उंगलियों से तारो को मिलकर
मेरा नाम बनाया करो
मेरे कदमो की आहट
ना महसूस करो
न सही
मगर तुम दबे पावा न आया करो................................... ।
थोडा मान जाया करो
मान मऔअल का दौर चले
फिर थोडा सा मुस्कुराया करो
थोडा है खुलापन
थोडा करो पर्दा
मनो मेरी बात
थोडा सा काजल भी लगाया करो
जब छुए कोई हवा तुम्हे तो
तो कोई बात नहीं
जब आये हमारी याद
तब थोडा तो सरमाया करो
जब कधी आये तारो भरी रात
उंगलियों से तारो को मिलकर
मेरा नाम बनाया करो
मेरे कदमो की आहट
ना महसूस करो
न सही
मगर तुम दबे पावा न आया करो................................... ।
Wednesday, June 22, 2011
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