अब जब इस,
किराये के मकान में, शहर में है
तब उस .......
दीये का धुँआ याद आता है,
जो दिन ढलतें ही.......घर में ...घुटन पैदा करता था
दीये का धुँआ
घुटन पैदा करता था
सुकून के साथ
गाव के उस पुराने घर में
एक गुलदस्ता हुआ करता था
जो उस
कोने को खुबसूरत बनाने में
अपनी सारी जिंदगी
वही बैठे-बैठे बिता दी
मगर जब उसे नए घर ले जा रहे थे
तो
उस
कोने के लिए टूट गया
कोने के पास ही बिखर गया
No comments:
Post a Comment