Thursday, April 26, 2012

वि आई पी


पहले  तो थोडा बहुत 
समझते  थे 
अब जाने  ये क्या हुआ है 
की अब समझाते रहते है 

तरकीबे बदल बदल कर थक जाया  करते है
ये कैसा प्यार  है जो अब बदलता ही नहीं
छोटी सी तो बात
ये बात क्या है पता नहीं 

कोई है या नहीं है
खुदा से पूछना चाहा
पर वो है की कभी मिलता ही नहीं 

आज कल ये बादल आ जातें है 
बरसने के लिए 
मौसम कौन  सा चल रहा है
ये जानतें ही नहीं 

ये मोबाइल का मिजाज 
बदलता जा रहा है 
पहले हेल्लो जी हेल्लो जी 
 अब 
टू जी  
थ्री जी 
फॉर जी 
क्या क्या जी 

एक पत्थर कही मिलता ही नहीं
जिसे हम भी खुदा कह ले 

उस बगीचे में फलदार पेड़ थे 
मगर सारे ही प्री पेड़ थे 

जवाब, हाज़िर जवाबी का 
कैसे तूल पकड़ा, जो पकड़ा भी 
ज़नाब, ज़नाब को वि आई पी  की तरह 

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